Ticker

6/recent/ticker-posts

Advertisement

Operation....Desert Safari..!!!

Operation Desert Safary..!!

           अबू धाबी का एक एन आर आई (NRI) बिजनेसमैन तिखत सिद्दीकी बिजनेस डिल के लिए बोहोत सालों के बाद भारत में आता है! अपनी मातृभूमि जाना है यही सोचकर वह पुरा सफर तय कर लेता है! 11 मार्च 2001 को बिजनेसमैन भारत एअरपोर्ट आता है और आने के बाद वह अपने दिल्ली के बिजनेसमैन दोस्त (जो अपने आप को विजय राठौड़ कहता था!) को फोन करता है, उससे पहले वह पत्नी को बता देता है की वह पहुंच गया और वह जल्द ही वापस आ जाएगा पर उसे यह नही पता था के उसके साथ क्या होने वाला था और यह उसकी भयावह बिजनेस डील होने वाली थी!
           दोस्त का सेक्रेट्री अमर उसे लेने के लिए आ जाता है! वह दोनों कार मे बैठ कर निकल पड़ते है! कुछ देर बाद कार साउथ दिल्ली के एक बंगले के सामने खडी होती है और वह हसता हुआ बंगले के अंदर जाता है! वह सामने खडे लोगों से हात मिलाने के लिए अपना हात आगे बढाता है की तभी ये लोग उसे खिंचकर निचे गीरा देते है और उसे पिटना शुरू कर देते है! उसे कुछ समज नही आ रहा था की ये लोग उसे मार क्यों रहे थे! कुछ देर बाद एक आदमी बंदूक तिखत के सर पर रखता है और उसे बोला जाता है कि तुम किडनैप हो चुके हो और अपनी बिवी को फोन लगावो और उसे कहो की 12 करोड़ दे और तुम्हे बचा ले नही तो तुम मारे जाआगे!                  भारत मे एक NRI का किडनैप हो चुका था और  अबुधाबी फोन किया जाता है, यह खबर ने अबुधाबी स्थित भारतीय दुतावास मे हडकंप मच जाता है, कुछ समझ नही आ रहा था, दुबई स्थित भारतिय राजदुत के सी शर्मा अगले दिन निरज कुमार को फोन करते जो सीबीआई (CBI) के ज्वाइंट डायरेक्टर थे! उन्हें ये केस दिया जाता है और बोलते है कि केस को जल्दही खतम करो, ईधर निरज कुमार परेशान हो जाते है की यह तो किडनैप केस है और वे तो ईकॉनमीक आँफेन्स के ज्वांइट डायरेक्टर थे फिर यह केस उनके पास कैसे? पर के सी शर्मा जी को पताथा इस केस को निरज कुमार ही जल्द से जल्द खतम कर सकते है!
        15 मार्च 2001- तिखत के दो रिश्तेदार दिल्ली आकर निरज कुमार से मिले और बताया की किडनैपर्स ने12 करोड़ की डीमांड की है! जो की यह एक इन्टरनेशनल किडनैपिंग थी तो पैसा अबुधाबी पहूंचाना था! तिखत की बिवी को यह फोन एक सँटलाईट द्वारा की गई थी, इसलिए यह भी समजा जा सकता था कि तिखत को दिल्ली से बाहर भी ले जाया गया हो? इधर निरज कुमार को समज नही आ रहा था की केस को स्विकार करे की नही तभी वहा दिल्ली पुलिस के स्पेशल टीम के ए सी पी (ACP) राजविर सिंग आते है! निरज कुमार उनको सब घटना क्रम बताते है और उनसे सलाह मांगते है, राजविर सिंग उन्हें केस लेने की सलाह देते है और साथ मे कहते है कि कोइ आपत्ती ना हो तो वे भी उनके साथ काम करना चाहेंगे, यह.सुनकर निरज कुमार ने तुरंत केस लेली और राजविर सिंग को भी सहमति दे दी! और फिर यही से शुरू होता है आँपरेशन डेजर्ट सफारी! 
           16 मार्च 2001-  किडनैपिंग के पाँँच दिन बाद निरज कुमार का फोन बजता है और सामने से बोलने वाला और कोई नही तिखत का बडा भाई अहमद था, वह बोहोत डरा हुआ था और उसे थोडी देर पहले किडनैपर्स का फोन आया था और उसने उसके भाई तिखत से भी बात की है! अहमद ने बताया इस दौरान उसने मलयालम मे कुछ सुराग दीए है, तिखत ने बताया कि वह किसी इमारत के दुसरे मंजिल पर है, बाजु मे यहांं एक बोर्ड है जिस पर नंंबर लिखा है 6683899, इस इमारत के उपर से ऐरोप्लेन की साउंड आति है और यहा पास मे टेलिफोन बुथ हैै! निरज कुमार 197 नंंबर डायल कर उस नंबर की जानकारी लेते है और वो नंबर दिल्ली के
बेगमपुर,मालविय नगर का था! यह जानकारी निरज कुमार राजविर सिंग को देते है, राजविर सिंग देर रात तक उस घर ढूंढ लेते है और फिर दोनों अपनी 20 लोगों की टीम के साथ एक जगह मिलते है, उनके साथ होते है सुपरकाँप इन्सेक्टर मोहनचंद भी शामिल थे और वे रात डेढ (1:30) बजे छाया मारते है पर तब तक किडनैपर्स वहा से भाग जाते है! अगले दिन निरज कुमार तिखत के फोन के नंबर से जानकारी निकालते  है तो पता चलता है की तिखत को नंबर से फोन लगाया था वह नंबर एक सँटलाइट नंबर था और वह दिल्ली के विजय राठौड़ का सेक्रेटरी बनकर फोन करता था और जिस आदमी ने उसे एअरपोर्ट से पिकअप किया था वह कुछ दिनों से बेगमपुर के किसी लडकी के संपर्क मे था! IMEI नंबर से पता चलता है कि यह नबर पहले एक बार किडनैपिंग केस मे इस्तमाल किया गया था और यह नंबर उत्तर प्रदेश का गँगस्टर विरेंद्र पंत ऊर्फ छोटू इस्तेमाल कर रहा है, वह युपी का डाँन बबलू श्रीवास्तव का करीबी और राठौड़ नाम का कोड इस्तेमाल करके अबु सलेम के लिए किडनैपिंग का काम करता था! इस जानकारी निरज कुमार परेशान हो जाते है,वे डरने लगते है कि क्या वो तिखत को बचा पायेंगे या नहीं! तभी अहमद का फोन आता है और वह बताता है कि उसनें किडनैपर्स की डिल4 करोड़ फिक्स कर दी है और वह कल शाम तक उनके पास पहुंचाने है! निरज कुमार अहमद को समजाते है पर अहमद बोलता है कि मेरा अब CBI पर भरोसा नहीं रहा, पर फोन काटने से पहले अहमद बताता है की उसने फिर से तिखत से बात और फिरसे उसनें मलयालम मे ससुराग दिये है,उसने कहा कि उसे जिस घर मे रखा है वह दो मंजिला है,उस घर के छत पर बोहोत सारे गमले है,उपर हरे रंग से कवय किया है, बाजु मे बोहोत मस्जिदे है!
       18 मार्च 2001- सुबह रविवार था छुट्टी का दिन था, लेकिन निरज कुमार चुपचाप नही बैठ पख रहे थे,वे अपनी बाइक लेकर बेगमपुर आ जाते है और वह घर ढूंढने लग जाते, वैसे यहा सभी घर दो माले के थे! वहीपर उनकी नजर साधना इन्के्लेव पर जाती है और उसके आसपास मस्जिदे भी थी वहा पर निरज कुमार पैदल घुमने लगते है, वहा हर घर पर पौधे रखे पर एकही घर एसा था जिस पर हरे रंग का कवर था! निरज कुमार की धडकने बढ जाती है, पसीना छुटने लगता हैं वह लोढी काँलनी स्थित पुलिस स्टेशन जाने ही वाले होते है तभी उनको अहमद का फोन आता है और वह बताता है कि वह अबुधाबी के लिए रवाना हो रहा है, पर फिरसे उसके भाई ने उसे सुराग दिये की उस घर के बाजु मे बोहोत जोर से म्युजिक बज रहा है और यह बोल कर फोन रख देता है। निरज कुमार राजविर सिंग को यह जानकारी देते है, राजविर सिंग तुरंत अपनी टीम के साथ वहा पहुंच जाते है और छान बीन करना शुरू कर देते है, उनमे से एक अफसर की नजर सरप्रिया विहार पर जाता है और यहा भी मस्जिदे बोहोत थी। आश्वस्त होने के बाद सभी पुलिस वापस चली जाती है और सिविल ड्रेस पहनकर सिविल गाड़ी से आते है। रविवार का दिन था इसलिए सभी लोग अपने घरों में ही थे, कूछ लोग पुलिस को शक की नजर से देख रहे थे। निरज कुमार को पता था कि एक लापरवाही क्या कर सकती है, उनकी धडकने बोहोत तेज हो गई थी। पर अब तक वो घर नही मिला था।वही दुसरी ओर लोगों मे बात चल रही थी के कुछ अनजाने लोग काँलनी मे घुम रहे है। तभी अचानक चलते चलते निरज कुमार रूक गये और एक बिलडिंग की तरफ देखा ओर सारे सुराग जैसे के बोहोत सारे पौधे, हरे रंग का कवर,बाजु मे शादी का हाँल मतलब जोर से साउंड, और मस्जिदे जुड गये। उन्होंने राजविर सिंग को फोन करके बुलाया और चारो ओर से उस बिल्डिंग को घेर लिया। तभी निरज कुमार एक धोबी केपास जाते है और पुंछते है, कहा के रहने वाले हो वह बताता है बिहार से, तो निरज कुमार बोलते है हम भी बिहार से है, बातों बातों मे निरज कुमार टारगेट घर के बारे मे पुंछ लेते है। तो वह बताता है की उसका तो नही पता पर बाजु वाले घर से बोहोत आवाजे आती हैं और वह दिखने में भी अजिब लगते है, निरज कुमार का शक यकीन मे सदल जाता है और वह राजविर को इशारा कर देते है। जैसे ही इशारा मिलता राजविर अपनी टीम के साथ अंदर घुस जाता है और कुछ देर बाद गोली कि आवाज आती है। निरज कुमार नीचे खडे थे।कुछ देर बखद फायरिंग रुक गई और राजविर सिंग तिखत सिध्धिकी के साथ बाल्कनी मे आ जाते है, सारे किडनैपर्स मारे जाते है और तिखत सिध्धिकी आराम से बच जाते है।


                                                         मँक्

अगर पसंद आऐ तो इस लिंक पर विजिट करे और फाँलो करे
mac51.blogspot.com

Post a Comment

0 Comments